हम सभी के जीवन में दिन प्रतिदिन जो भी घटनाएँ घटती हैं वे सभी विभिन्न ग्रहों की दशाओं, अंतर्दाशाओं, प्रत्यन्तर दशाओं आदि से काफ़ी हद तक प्रभावित होती हैं | व्यक्ति की कुण्डली देखकर बताया जा सकता है कि किस ग्रह की दशा किस समय से किस समय तक रहेगी और उस विशिष्ट दशा का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है | यदि कोई कष्टकारक दशा है तो उसके अशुभ फल से बचने के लिए क्या उपाय किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त किस दशा में सन्तान प्राप्ति का योग बन सकता है, किस दशा में विवाह का योग बन सकता है, किस दशा में स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है, किस ग्रह की दशा ऐसी है कि उसमें व्यक्ति का कार्य अच्छी तरह चलने की सम्भावना है और किस ग्रह की दशा ऐसी है कि उस समय कार्य के क्षेत्र में कोई व्यवधान हो सकता है – इत्यादि और भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रहों की दशाओं के फलों को जानने का प्रयास किया जाता है |
इतना ध्यान रहे कि यदि किसी गह की दशा में कुछ अशुभ होने की सम्भावना है या किसी प्रकार का व्यवधान पड़ने की सम्भावना तो यह सब व्यक्ति को केवल उसे डराने के लिए नहीं बताया जाता, बल्कि इसलिए बताया जाता है कि व्यक्ति सावधान हो जाए और उस ग्रहदशा में होने वाले सम्भावित दुष्परिणामों से स्वयं को बचा सके | यह सब उसी प्रकार समझना चाहिए जैसे आप कहीं चले जा रहे हैं और मार्ग में कहीं कोई गड्ढा बना हुआ है तथा आपको उस गड्ढे के विषय में जानकारी नहीं है, तो इस स्थिति में अनजाने में ही आप गड्ढे में गिर सकते हैं और आपको भयंकर चोट लग सकती है | लेकिन यदि आपको समय पर बता दिया जाए कि आगे गड्ढा है तो या तो आप उस रास्ते जाएँगे ही नहीं, या जाना आवश्यक ही हुआ तो संभल कर गड्ढे को पार करते हुए आगे बढेंगे | यही लाभ है ज्योतिषीय फलकथन का |