शिक्षा पूर्ण करके अच्छी नौकरी भी लग गई या अपना ही व्यवसाय आरम्भ कर दिया | अब तलाश आरम्भ होती है आपको उचित जीवन साथी की | आपकी कुण्डली देखकर आपको बताया जाता है कि किस समय तक आपका विवाह का योग बन सकता है और आपका जीवन साथी कैसा हो सकता है ? यदि विवाह में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो उसके लिए भी उपाय बताए जाते हैं |
कहा जाता है कि जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं | लेकिन यदि सावधानीपूर्वक जीवनसाथी का चयन नहीं करेंगे तो जीवन नरक भी बन सकता है | इसलिए दो व्यक्तियों की कुण्डली मिलाना आवश्यक है | कुण्डली मिलाते समय केवल गुण मिलान पर ही ध्यान नहीं दिया जाता अपितु यह भी देखा जाता है कि दोनों के ग्रह एक दूसरे के स्वास्थ्य, परिवार में सद्भावना तथा एक दूसरे के व्यवसाय-प्रोफेशन के लिए कैसे रहेंगे | विवाह के बाद होने वाली सन्तान किस प्रकार की होगी यह भी दो कुण्डलियों के परस्पर मेल पर बहुत हद तक निर्भर करता है | यदि वर वधू दोनों एक दूसरे की उन्नति में सहायक न भी बन सकें तो कम से कम बाधक तो न बनें | क्योंकि विवाह कोई एक दो दिन का मेल नहीं होता, जीवन भर का साथ होता है और साथ ही केवल दो व्यक्तियों का ही सम्बन्ध नहीं होता है बल्कि दो परिवार भी परस्पर जुड़कर एक परिवार बनाते हैं | ऐसे में जीवन के हर क्षेत्र में सामंजस्य रहे इसके लिए कुण्डली मिलाना आवश्यक होता है |
साथ ही, विवाह के लिए मुहूर्त निर्धारित करना भी एक आवश्यक अंग होता है विवाह का | शुभ तथा अनुकूल मुहूर्त में किया गया विवाह जीवन भर सुख शान्ति प्रदान करता है |